भूमि उपयोग में परिवर्तन, भूमि उपयोग में परिवर्तन क्या हैं, भूमि उपयोग में परिवर्तन के संभावित कारण

भूमि उपयोग परिवर्तन वह प्रक्रिया है जिसमें प्रकृति के दृश्य को सीधे मानव गतिविधियों के लिए उपयोग में आने वाली भूमि के रूप में बदला जाता है। इसके अंतर्गत प्राकृतिक भूमि को सीधे बस्तियों, व्यापारिक और आर्थिक उपयोग के लिए मानवीय गतिविधियों के योग्य बनाया जाता है। इसके तहत प्राकृतिक तत्वों के साथ छेड़छाड़ की जाती है, जिसके फलस्वरुप ग्रीन हाउस गैस जिसमें कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड मुख्य गैसो की मात्रा वातावरण में बढ़ाती है तथा जलवायु परिवर्तन समेत समस्त वातावरण प्रभावित होता है।

संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD) के अनुसार भूमि उपयोग परिवर्तन पशुओं द्वारा उत्पन्न होने वाले रोग जैसे कोविड-19 आदि का मुख्य कारण बनता है। इसलिए भूमि उपयोग परिवर्तन को बदल देना चाहिए।

भूमि उपयोग में परिवर्तन के संभावित कारण

● बढ़ती जनसंख्या भूमि उपयोग परिवर्तन का मुख्य कारण है क्योंकि जनसंख्या को रहने के लिए आवास एक मूलभूत आवश्यकता होती है। जिसके लिए वनों को काटकर घर बनाए जाते हैं ।बढ़ती जनसंख्या से भूमि पर दबाव बढ़ता है। उसके साथ साथ ही प्राकृतिक संसाधनों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।

● बढ़ती जनसंख्या के सामने एक मुख्य समस्या भोजन की पूर्ति करना है। भोजन की बढ़ती मांग के लिए वर्तमान समय में गैर कृषि क्षेत्रों को भी कृषि योग्य बनाने की कोशिश की जा रही है। इसके अंतर्गत आद्रभूमि , वन आदि गैर कृषि क्षेत्र को भी कृषि विस्तार के लिए साफ किया जा रहा है।

● निरंतर बढ़ते कृषि भूमि के कारण वनों की संख्या में कमी आई है। उसके साथ साथ कृषि उपकरणों के बढ़ते उपयोग के कारण कृषि योग्य भूमि की हानि हुई है। अति सिंचाई से भूमि लवणीय होती है।

● लगातार कृषि करने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है। ऐसी स्थिति में किसान उस भूमि को छोड़कर वहां पर पशुओं को चराने लग जाते हैं।

Mukhyamantri Vivah Shagun Yojana 2022 – Read Here

भूमि उपयोग के संदर्भ में विभिन्न संस्थानों द्वारा दिए गए आंकड़ों का विश्लेषण

● भूमि उपयोग परिवर्तन वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा कारक हो सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन को बढ़ता खतरा और बढ़ेगा। इस प्रकार बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा पूरी विश्व की जलवायु परिवर्तन में योगदान करती है।

● जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी मंच (Intergovernmental Platform on Biodiversity and Ecosystem Services- IPBES) के अनुसार वर्तमान समय में भूमि का 70% हिस्सा मानव के द्वारा उपयोग किए जाने से लगातार प्रभावित हो रहा है , जिसमें सभी प्राकृतिक और बर्फ रहित भूमि शामिल है।

● उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर ऐसी संभावनाएं व्यक्त की जा रही है कि 2050 में यह मानव द्वारा प्रभावित भूमि का हिस्सा 90% तक पहुंच सकता है।

● भूमि की खराब स्थिति और निम्नीकरण( Land degradation) से दुनिया भर में लगभग 3.2 बिलियन लोग प्रभावित होते हैं।

● भूमि निम्नीकरण की वजह से पूरे विश्व को हर साल बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है, जिसमें मुख्य रुप से वन कृषि तथा घास भूमि और पर्यटन आदि पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं खत्म हो रही है ,जिससे 10.16 ट्रिलियन डॉलर के नुकसान का अंदाजा लगाया जा रहा है।

● संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) के अनुसार, वर्ष 2050 तक दुनिया भर में खाद्य संबंधी मांग को पूरा करने के लिये 500 मिलियन हेक्टेयर से अधिक नई कृषि भूमि क्षेत्र की आवश्यकता होगी।

भूमि उपयोग परिवर्तन में सुधार करने के लिए समाधान

● भूमि उपयोग में परिवर्तन पर IPCC की एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु स्मार्ट भूमि प्रबंधन का प्रयोग करके भूमि उपयोग परिवर्तन में सुधार किया जा सकता है। जिससे भूमि निम्नीकरण होने से बचाया जा सकता है इस पद्धति को अपनाने से फसल उगाने योग्य भूमि में वृद्धि ,फसल उत्पादन में सुधार, पशु प्रबंधन, मिट्टी के कार्बनिक कटक में सुधार तथा फसल को काटने के बाद होने वाले नुकसान को कम करके भूमि को दोबारा उपयोग करने योग्य बनाया जा सकता है।

● अगर भूमि उपयोग परिवर्तन में के लिए यह पद्धति अपनाई गई तो यह 1.4 ट्रिलियन डॉलर फसल के उत्पादन में सहायक हो सकती है।

● वनों की अच्छी तरह से व्यवस्था करके भी भूमि के कम होने को बचाया जा सकता है ।ऐसा करने से चराई की वजह से होने वाली भूमि की कमी को बचाया जा सकता है।

● भूमि उपयोग परिवर्तन का सीधा प्रभाव विश्व की जलवायु पर पड़ता है क्योंकि इसकी वजह से ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होती है ।भूमि जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण घटक है ।इसका सही तरीके से उपयोग के हम ग्लोबल वार्मिंग को कम कर सकते हैं।

● वर्तमान समय में पेरिस समझौते में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए भूमि उपयोग क्षेत्र महत्वपूर्ण है।

Official Website – Read Here